1. घरवालों को बच्चो की activities पर नज़र रखनी होगी। बच्चा कब कहां जा रहा है, क्या कर रहा है, उसका friend circle कैसा है इस पर ध्यान देना होगा। रात को देर तक बाहर रहने की अनुमति न दें। Nuclear और elite families को विशेष ध्यान देना होगा क्यों की ज्यादातर cases में यही बच्चे अधिक प्रभावित होते हैं।
2. Schools में जाकर बच्चों को जागरूक करना होगा।
3. सभी विभागों को मिलकर काम करना होगा।
4. नए Rehabilitation और De-addiction Centres की संख्या बढ़ रही है इन पर सख्त जांच होनी चाहिए। कई जगह नशे की मुक्ति की बजाय वहीं पर सप्लाई की जाती है।
5. समाज को प्रशासन के साथ जोड़ना होगा ताकि सूचना और समाधान में समय न लगे।
6. परिवार को बच्चों के cash flow पर नज़र रखनी होगी।
7. Yoga और Meditation केवल दिखावे के लिए नहीं, बल्कि दिनचर्या का हिस्सा बनना चाहिए। क्यों की इंसान नशे से भी सुख की अनुभूति चाहता है, जो उसे संतुलित जीवन से मिल सकती है।
नशे का चुनाव इसलिए भी होता है क्योंकि उन्हें सही रास्ता दिखाया नहीं जाता, गलतियों पर संवाद नहीं होता, moral values नहीं दी जाती। सिर्फ “गलत काम मत करो” कहना काफी नहीं है सही रास्ते का ज्ञान देना जरूरी है।
उनकी दैनिक दिनचर्या में योग, ध्यान और सांस्कृतिक मूल्य लाना परिवार और स्कूल की जिम्मेदारी है। अगर सब अपने कर्तव्य समझें, तो आने वाली पीढ़ी को इस नशे की चपेट से बचाया जा सकता है।
Author: Leena Mehta
Profession: Psychologist – Vaishalya Healing, Palampur