बच्चे की आदतें खराब होना स्कूल से शुरू होती है। अभी तक की स्टडी के अनुसार 85% बच्चे जो 8 से 20 साल के बीच है, घरवालों के साथ रहते ही स्मोकिंग और ड्रिंकिंग शुरू कर चुके होते है। बाद में वो बाहर निकल कर वो चिट्टे जैसे घातक नशों की तरफ जाता है। लेकिन जब वो घर पर था ,क्या आपने उसकी आदतों, रवैए और व्यव्हार को गंभीरता से समझा या उसके बारे में सोचा ? अधिकतर माँ बाप यही पर ही गलती करते है और बाद में एकदम नशे के परिणाम देख के बच्चे को ठीक करने की ज़िद पकड़ लेते है। लेकिन जिसको 10 साल के बाद सब तरह की छूट दे दी है वो अब 20 साल का होके आपकी सारी बातें एकदम से तो नहीं समझेगा।
एक तो साइकोलॉजिकली दिमाग काम करना बंद कर चुका है, और ऊपर से समाज का दवाब ,गलतियों का ढेर और घरवालों की उम्मीदें। आध्यात्मिक शून्यता(ईमानदारी, प्रेम, सच का अभाव), विश्वास की कमी, आलस और पैसे कमाने के शॉर्टकट्स इनके जीवन का हिस्सा बन चुके होते है। वो अपने आप को समझ जाए ये भी बहुत बड़ी बात है। लेकिन इस सफर में अब वो अकेला नहीं पूरी रिश्तेदारी, घर परिवार सब शामिल हो चुका होता है। उनकी उम्मीदें इतनी हावी हो जाती है कि उसके पास कोई चारा नहीं बचता फिर से नशे की तरफ जाने के अलावा।
घरवाले समझने को तैयार नहीं कि पहली गलती उनकी है फिर बाकी समाज के लोगों की और उनके द्वारा बनाए गए वातावरण की। आज बच्चा घर से पढ़ने निकलता है। पहली demand उनकी होती है अच्छे कपड़े और जूतों की। कहीं कोई बच्चा ऐसा होता है जो सिर्फ पढ़ाई और भविष्य को ध्यान में रख कर घर से बाहर निकलता है। अब इसी आज़ादी के साथ शुरू होती है सब तरह की आदतें, अच्छी बुरी, नशे की, बाकी कई तरह से बिगड़ने की भी। घर से पैसे आना स्वाभाविक है, कभी किराए के लिए, कभी किताबों के लिए, कभी घूमने के लिए। और बहुत सालों बाद पता चलता है कि बच्चे न तो पढ़ाई की, न तो घुमा , न ही कॉलेज की फीस भरी और जिस काम के लिए भेजा था वो तो सफल हुआ ही नहीं ।
अब इसके लिए कौन जिम्मेदार है ? स्कूल या कॉलेज , बच्चा या परिवार ?
नशे के विकार को कम करने के लिए सबको जागरूक होना पड़ेगा, परिवार को जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी, समाज को भी अपना दायित्व निभाना पड़ेगा । परिवार वाले अपने बच्चे को समझे ,उसकी हर दिन की गतिविधियों को ध्यान में रखें। लोग भी अपने आसपास होने वाली घटनाओं की पूरी निगरानी रखें अपने। स्कूल/कॉलेज एक रिपोर्ट कार्ड बच्चे के व्यवहार और उनके इंटरेस्ट का भी बनाए, ताकि आने वाले समय में उनको करियर का चुनाव आसान हो। और अगर व्यवहार उचित नहीं है तो माता पिता को अवगत करवाएं।
अपने बच्चे के व्यवहार और दोस्तों पर नजर रखें। उनका सही समय पर सही चीजों के लिए मार्गदर्शन करें। इसके लिए मोबाइल फोन्स से दूरी बनानी पड़ेगी। घर पर एक अनुशासन स्थापित करना पड़ेगा। और अपनी संस्कृति से कुरीतियों को दूर रख के सही सिद्धांतों और मूल्य को जीवनशैली में लाने की कोशिश करें।
Author: Leena Mehta
Profession: Psychologist – Vaishalya Healing, Palampur